Sunday, November 6, 2011

दिल कभी रोता,कभी हसंता है...

प्यार में अक्सर ये होता है,
दिल कभी रोता,कभी हसंता है.
क्या कहे इसमें ,क्या होता है .
कोई पाता है,कोई खोता है .
किससे होता है,क्यों होता है?
ये पता नही कभी चलता है.
जिससे होता है,वो अच्छा होता है.
अपनों से ज्यादा वो प्यारा लगता है.
अपना इमान,अपनी खुदाई ,
रब ने जतन कर उससे मिलाई,
आत्मा बोली-ओ पागल भोली !
सहनी होगी तुझे उसकी जुदाई.
मतकर,मतकर,मतकर,
तू ऐसी कमाई,
वो हो जाएगी
एक दिन पराई.
विस्वास खोएगा,तेरे सपने टूटेंगे,
और तू हो जाएगी ,
खुद से बवरायी.
तू स्नेहिल सच्ची,तेरा स्नेह है सच्चा,
पर आज के युग में हर डोर है कच्चा.
बेदर्द जमाना है,खुदगर्ज जमाना है.
होगा इसका असर ये जन ले पक्का.
प्यार में अक्सर ये होता है,
दिल कभी रोता,कभी हसंता है.
- Rajlakshmi Nandini G[25/11/98]